New Delhi: भारत के 5 क्रिकेटर, जिनका लोकसभा चुनाव में नहीं चला जादू, जनता ने एक नहीं दो-दो बार हराया

New Delhi: भारत के 5 क्रिकेटर, जिनका लोकसभा चुनाव में नहीं चला जादू, जनता ने एक नहीं दो-दो बार हराया

भारत में 18वीं लोकसभा चुनाव में वोटिंग की शुरुआत 19 अप्रैल से हो रही है. सात चरण में हो रहे लोकसभा चुनाव में पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. यह पहला मौका नहीं कि जब कोई क्रिकेटर लोकसभा चुनाव के जरिए संसद पहुंचने की कोशिश में हैं.

मोहम्मद कैफ, मनोज प्रभाकर, मंसूर अली खान पटौदी जैसे कई क्रिकेटर लोकसभा चुनाव हार भी चुके हैं. अब यह देखना है कि विश्व कप जीत चुके यूसुफ पठान का नाम चुनाव जीतने वाले क्रिकेटरों में दर्ज होता है या उन्हें निराशा हाथ लगती है.

चुनावी मैदान पर काम नहीं आई ‘फील्डिंग’

भारत के सबसे बेहतरीन फील्डर्स में शुमार मोहम्मद कैफ भी राजनीति में उतरे लेकिन यहां उनकी फील्डिंग नहीं चल पाई. मोहम्मद कैफ ने 2014 में कांग्रेस जॉइन की और इसी साल उत्तर प्रदेश के फूलपुर सीट से चुनाव लड़े. बतौर क्रिकेटर बेहद लोकप्रिय कैफ अपनी लोकप्रियता चुनाव में नहीं भुना सके और 58 हजार वोट के साथ चौथे नंबर पर रहे.

सुषमा स्वराज से हारा ऑलराउंडर

भारत के बेहतरीन ऑलराउंडर रहे मनोज प्रभाकर ने क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद राजनीति के मैदान पर भी खुद को आजमाया. उन्होंने 1996 के लोकसभा चुनाव में ऑल इंडिया इंदिरा कांग्रेस (तिवारी कांग्रेस) से चुनाव लड़ा. उनके सामने भाजपा की दिग्गज सुषमा स्वराज और कांग्रेस के कपिल सिब्बल थे. 39 टेस्ट मैच खेलने वाले मनोज प्रभाकर को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. साउथ दिल्ली की इस सीट पर सुषमा स्वराज जीती थीं. प्रभाकर तीसरे नंबर पर रहे.

क्रिकेट में चमके, राजनीति में किया निराश

सचिन तेंदुलकर के बालसखा और अपने जमाने के स्टार क्रिकेटर विनोद कांबली ने भी राजनीति में एंट्री की थी, लेकिन वे यहां अपनी पारी लंबी नहीं खींच सके. 17 टेस्ट और 104 वनडे मैच खेलने वाले विनोद कांबली ने 2009 के लोकसभा में खुद को आजमाया. वे लोक भारती पार्टी की ओर से चुनाव में उतरे, लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया.

एक नहीं, दो-दो बार हारे टाइगर पटौदी 

भारत के बेहतरीन कप्तानों में शुमार मंसूर अली खान पटौदी ने भी राजनीति में खुद को आजमाया था. लेकिन टाइगर पटौदी को जो प्यार क्रिकेट के मैदान पर मिला, वह राजनीति में नहीं. विशाल हरियाणा पार्टी की ओर से 1971 और 1975 में खुद को चुनाव मैदान पर आजमाने वाले नवाब जूनियर पटौदी को दोनों ही बार हार का सामना करना पड़ा. टाइगर पटौदी के पिता इफ्तिखार अली खान पटौदी भी भारतीय टीम के लिए खेले. मंसूर अली खान पटौदी ने 1961 से 1975 के बीच भारत के लिए 46 टेस्ट मैच खेले.

जीते भी और हारे भी अजहर और आजाद 

मोहम्मद अजहरुद्दीन और कीर्ति आजाद उन क्रिकेटरों में शामिल हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में जीत भी दर्ज की और उन्हें हार का सामना भी करना पड़ा. कांग्रेस प्रत्याशी रहे अजहर 2009 में मुरादाबाद सीट जीतकर लोकसभा चुनाव पहुंचे. लेकिन 2014 में उन्हें टोंक-सवाई माधोपुर सीट से हार का सामना करना पड़ा. इसी तरह की्र्ति आजाद को 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत मिली और 2019 में हार का सामना करना पड़ा. 1983 में विश्व कप जीतने वाली टीम के सदस्य रहे कीर्ति आजाद के पिता भगवत झा आजाद बिहार के मुख्यमंत्री रहे थे.

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